अध्याय - 2हरि और हाइड्रोजन के कुल 51 लक्षण मिलते है। लक्षण-संख्या =02/51 [ यदि शास्त्र और साइंस दोनों सत्य है तो यह भी सत्य है कि प्रभु राम (भगवान) के अनेकों रूपों में हरि-हाइड्रोजन वाला रुप ही ब्रह्मांड के आदि-अंत दोनों है। इस अध्याय में केवल अंत-कर्ता गुणों को वैज्ञानिक तरीके से दिखाया गया हैं । ] | |
ईश्वर के अमरता और अंतकर्ता के विषय में गीता और
विष्णुसहस्रनाम में आया है कि भगवान ही इस जगत के अंत तक विराजमान रहेंगे अर्थात
वही आदि और अंत दोनों है। आगे आया है कि
अहमात्मा
गुडाकेश
सर्वभूताशयस्थितः ।
अहमादिश्च मध्यं चभूतानामन्त एव च ॥
हे
अर्जुन!
मैं संपूर्ण भूतों का आदि, मध्य और अंत भी मैं ही हूँ। [गीता10.20]
अनादिनिधनं
विष्णुं सर्वलोकमहेश्वरम् ।
लोकाध्यक्षं स्तुवन्नित्यं सर्वदुःखातिगो भवेत् ॥
भगवान के
1000
नामों में एक नाम अनादि-निधनः भी
होता है जिसका अर्थ आदि-अंत होता है। [ विष्णुसहस्रनाम/६ ]
भगवान ने राम रुप में आकर रावण का वध किया और सगुण
भक्तों को साक्षात दर्शन भी प्रदान क़िया | भगवान का राम रुप तो त्रेता-युग
में ही अयोध्या में जलसमाधि ले लिया था, और कृष्ण रुप को तो बहेलिये ने जान
से मार दिया था तो फिर गीता से लिये गये
उपरोक्त श्लोक में ऐसा क्यों बताया गया है कि भगवान ही जगत
का अंतकर्ता है ? वह ईश्वर का मानव-शरीर रुप था
जिसे बहेलिये ने मार दिया था लेकिन जो रुप अमर है, वो सूक्ष्म-कणों जैसे
परमाणु, प्रकाश,आत्मा, विष्णु और नारायन आदि का है ।
विष्णु और नारायन शब्द की शाब्दिक
अर्थ :
विष्णु ( विश्व का अणु = हाइड्रोजन )
नारायन (नार अर्थात जल का एक अयन = हाइड्रोजन) विधिवत व्याख्या के लिये गुण संख्या 01 को देखिये।
विज्ञान के अनुसार ब्रह्मांड के अंत के समय इसकी उर्जा
शून्य हो जायेगी और सारे कण जम जायेंगे और
सारे जीव मर जायेंगे फिर यह कैसे हो सकता
है कि कोई जीव अथवा मानव जीवित रहे ? इस जगत के आदि में भीं ईश्वर
सूक्ष्म रुप (हरि-हाइड्रोजन/मरीचि) में प्रकट हुए थे और इनका यही सूक्ष्म रुप (विश्व के
अणु अर्थात विष्णु) भी ब्रह्मांड के अंत समय तक रहेगा। ब्रह्मांड समाप्ति के बहुत से
कारणों में से एक सिद्धांत महा-शीतलन (The Big freeze) का भी आता है। इस सिद्धांत के
अनुसार अंत समय में ब्रह्मांड की उर्जा शून्य हो जायेगी और उस स्थिति में सारे कण
जम जायेंगे लेकिन फिर भी हरि-हाइड्रोजन गतिमान रहेंगे क्योंकि
इनको ठोस रुप में जमाने के लिये अति-न्यूनतम ताप (-2590C) आवश्यकता
होती है। इस स्थिति को प्राप्त होने तक ब्रह्मांड का लगभग अंत हो जायेगा। विज्ञान
के अनुसार के अनुसार सूर्य अगामी 1011
(दस अरब) वर्षों तक उर्जा देता रहेगा लेकिन इस सूर्य को अपनी
संलयन-शक्ति प्रदान करने वाले हरि-हाइड्रोजन (99.995%प्रोटान) की आयु बहुत ही अधिक होती है। इसकी केवल अर्धआयु ही, आज के
ब्रह्मांड के कुल उम्र से अधिक है। प्रोटान (हरि-हाइड्रोजन
का 99.9% भाग) के उम्र के अनुसार ही ब्रह्मांड के
उम्र का अंदाजा लगाया जाता है। हरि-हाइड्रोजन के उम्र सीमा के अंदर
सूर्य अरबों बार जन्म लेगा और समाप्त होगा। विष्णु-पुराण और
गीता के अनुसार परमात्मा का वायु रुप (हरि-हाइड्रोजन) ही आदि और अंत दोनों है ।
नोट :-
ईश्वर को अतिसूक्ष्म रुप में प्रकट होने की बात विष्णु-पुराण में साफ-साफ की गयी है और हरि-हाइड्रोजन से सूक्ष्म परमाणु (परम-तत्व) दूसरा कोई नहीं है। इस पुस्तक में प्रभु के तत्व रुप का गुणगान किया गया है न कि नाभिकीय-कण रुप की । ईश्वर के नाभिकीय-कण रुप (गोड-पार्टिकल) की व्याख्या मेरी आगामी पुस्तक में शीघ्र ही की जायेगी ।
******** जय श्री राम *********
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