10 अप्रैल, 2023

18/51 लक्षण संख्या - 18/51 [ हरि-हाइड्रोजन ही हरी-हाइड्रोजन है । ]

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अध्याय - 18

हरि और हाइड्रोजन के कुल 51 लक्षण मिलते है।

लक्षण-संख्या =18/51

[ यदि शास्त्र और साइंस दोनों सत्य है तो यह भी सत्य है कि भगवान (हरि-हाइड्रोजन) ही सर्वशक्तिमान है। इस अध्याय में हरि-हाइड्रोजन की शक्ति के गुणगान पृथ्वी-लोक (माया का संसार/ मृत्युलोक) के अनुसार किया गया है। हरि-हाइड्रोजन ही अपनी शक्ति से समस्त पृथ्वी लोक को चला रहे हैँ । यहाँ हरि-हाइड्रोजन के रसायनिक-शक्ति का गुणगान किया गया है। ]

 

 

ईश्वर ही अपने अतुलित बल से समस्त जगत को चला रहे है। एक समान्य व्यक्ति अधिक से अधिक एक बैलगाड़ी अथवा बंद-बाइक को अपने शरीर के बल से चला सकता है लेकिन परमात्मा तो अपने अपार बल से समस्त जगत को चला रहा है। इस संदर्भ में श्रीरामचरितमानस में आया है कि

सोइ सच्चिदानंद घन रामा

 अज विज्ञान रूप बल धामा
व्यापक व्याप्य अखंड अनंता । 

अकिल अमोघशक्ति  भगवंता

श्री रामजी वही सच्चिदानंदघन हैं जो विज्ञानस्वरूप और बल के धाम, सर्वव्यापक एवं अनेक रुप, अनंत, संपूर्ण, अमोघशक्ति (सबसे बड़ा शस्त्र) हैं [ 00 712 ]  

श्रीरामचरितमानस से ली गयी उपरोक्त पंक्तियों में परमात्मा को बल का धाम बताया है। उनका बल विज्ञान के रुप में है। विज्ञान शब्द आधुनिक नहीं बल्कि यह एक प्राचीन शब्द है। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि वह सर्वव्यापी और एक अमोघ-हथियार (हाइड्रोजन-बम) भी है। परमात्मा को जो रुप दशरथ-पुत्र के रुप में आया था वो तो स्वयं एक रथ में बैठकर चलते थे और उनको चलाने का काम रथ के घोड़े करते थे तो फिर यह क्यों कहा जाता है कि वह परमात्मा समस्त जगत को चला रहा है ? जिसको रथ को घोड़े चला रहे है वो सारी पृथ्वी को कैसे चला सकता है ?

वह मेंरे प्रभु राम का शरीर रुप था जिसको घोड़े खीँच रहे थे लेकिन उसी परमात्मा का जो रुप सारा जगत को चला रहा है, उस रूप का दूसरा नाम विष्णु अर्थात विश्व का अणु है। उस का दूसरा नाम नारायन भी है। भगवान का प्राकृतिक रुप हाइड्रोजन ही विश्व का अणु भी है और नारा का अयन भी है। हरि-हाइड्रोजन ही समस्त जगत को चला रहे र्हैं ।  सूर्य के बाद उर्जा का दूसरा विकल्प रसायनिक-उर्जा है। डीजल, पेट्रोल, किरोसीन, लकड़ी, कोयला और LPG-गैस आदि जैसे ईंधन ही रसायनिक-उर्जा के प्रमुख उदाहरण है। इन रसायनिक-ईंन्धनो के माध्यम से ही बाइक से लेकर ट्रक तक और रेलगाड़ी से लेकर वायुयान तक आदि गतिमान हो रहे है। ये सभी रसायनिक-ईंधन कुछ और नहीं बल्कि हरि-हाइड्रोजन के अंश है। इनके अणुओं की रचना में सबसे अधिक संख्या में हरि-हाइड्रोजन विराजमान रहते है और शेष इनकी माया (कार्बन) विराजमान रहती है। हरि-हाइड्रोजन ही इन ईंधनों को अपनी शक्ति भी प्रदान करते है। कुछ प्रमुख रसायनिक-शक्तियों के उदाहरण निम्नलिखित है ।

ईन्धन

सूत्र

शक्ति का मान

सूखी लकड़ी

हाइड्रोजन और कार्बन

10-16   MJ/kg

पत्थर-कोयला

हाइड्रोजन >कार्बन

23-28  MJ/Kg

प्राकृतिक-गैस

80% मेथेन-CH4

42-55   MJ/kg.

LPG-गैस

(C3H6  and C4H10 mostly)

46-51  MJ/kg

डीजल

(C9H20 to C16H34)

42-46     MJ/kg

पेट्रोल

(C5H12  to C8H18 )

44-46     MJ/kg

मेथेन

100% मेथेन-CH4

50-55      MJ/kg

हरि-हाइड्रोजन

शुद्ध हरी-हाइड्रोजन (100%)

120-142   MJ/KG

उपरोक्त सूचि को देखने से यह ज्ञात होता है कि सभी ईंधनों की रचना हरि-हाइड्रोजन और उनकी माया कार्बन से हुई है। इस पृथ्वी लोक को माया की नगरी कहते है इसलिये यहाँ पर माया का प्रभाव अधिक होती है। सूचि का अवलोकन करने से यह पता चलता है कि जिस ईंधन में हरि-हाइड्रोजन की कृपा (प्रतिशत-मात्रा संख्या के अनुसार) जितनी अधिक है वो ईंधन उतना शक्तिशाली है। मेथेन में हरि-हाइड्रोजन की कृपा 80% है तो इसक मान 50-55MJ/kg है और शुद्ध हाइड्रोजन में हरि-हाइड्रोजन की कृपा 100% है तो इसका मान 120-142   MJ/KG  है ।

रेलगाड़ी, बस वायुयान और आदि वाहनों को चलाने वाले पदार्थ को ईंधन कहते है। यदि एक दिन के लिये हरि-हाइड्रोजन का ईंधन-रुप काम करना छोड़ दे तो सारी दुनियाँ थम जायेगी । किसी शहर में केवल एक हप्ते के लिये ईंधनों के न मिलने से पुरा शहर थम सा जाता है। ईंधनों में व्याप्त होकर वाहनों सहित समस्त पृथ्वी लोक को चलाने वाले हरि-हाइड्रोजन ही है। इस प्रकार इस अध्याय में यह साबित किया गया है कि परमात्मा का हरि-हाइड्रोजन वाला रुप अपने रसायनिक-बल से समस्त पृथ्वी लोक को चला रहा है।

भगवान का हरि-हाइड्रोजन वाला रुप को विज्ञान की भाषा में हरी-हाइड्रोजन (The Green Hydrogen) कहा गया है। भारत-सरकार सहित तमाम सरकार इस हरी-हाइड्रोजन (The Green-Hydrogen) कहा की शक्ति अर्थात उर्जा को हासिल करने का प्रयास कर रही है ।   अगले अध्याय में हरि-हाइड्रोजन की विद्युतशक्ति का गुणगान किया गया है।

 

नोट : शास्त्रीय पक्ष की सुगमता को बधाने के लिये उश्मीय-उर्जा को शक्ति-मान वाले शब्द के साथ प्रस्तुत किया गया है। बाईक, कार, बस और ट्रक आदि में रासायनिक ईंधन ही आक्सीजन रुपी बाहरी माया के सन्योग से आग उत्पन करते हैं। विज्ञान की भाषा में इस आग ऊष्मीय उर्जा कहते है। आगामी भविश्य में हरी-हाइड्रोजन और हरि-हाइड्रोजन दोनों के नाम और महिमा एक समान प्रचलित हो जायेगा। देव-नागरी भाषा की “इ” और की मात्रा एक हो जायेंगी। 

 

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