09 अप्रैल, 2023

11/51 लक्षण संख्या-11/51 [ हरि-हाइड्रोजन और पृथ्वी नामक भूत पदार्थ ]

 

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अध्याय - 11

हरि और हाइड्रोजन के कुल 51 लक्षण मिलते है।

लक्षण-संख्या =11/51

[ यदि शास्त्र और साइंस दोनों सत्य है तो यह भी सत्य है कि भगवान (हरि-हाइड्रोजन) ही पंचभूत के रचयिता है। यहाँ पर पृथ्वी नामक भूत पदार्थ को दिखाया गया है। ]

 

 


चंद्रमा अथवा अंतरिक्ष-स्टेशनों से लिये गये फोटो के माध्यम से पृथ्वी का रंग नीला दिखाई देता है। यही कारण है कि इसको नीला-ग्रह भी कहा जाता है।  पृथ्वी का जो भाग आँखों से दिखाई दे पाता है, उसके अनुसार ही प्राचीन-महर्षियों  (वैज्ञानिकों) ने पृथ्वी की व्याख्या की होगी । पृथ्वी शब्द का पर्यायवाची शब्द धरा, और भूमि आदि होता है। भूमि और धरा से पृथ्वी के केवल बाहरी आवरण का बोध होता है। पृथ्वी और पृथु की कथा से भी इन दोनों के अलग-अलग होने की बात को स्पष्ट किया जा सकता है। इससे भी यह साबित हो जाता है कि शास्त्रों के अनुसार पृथ्वी की परिभाषा इस ग्रह के दृश्य भाग से होना चाहिये। दृश्य भाग को ध्यान में रखते हुए ही इसको नीला ग्रह भी कहा जाता है।  

पृथ्वी को प्रमुख रुप से चार भाग क्रमशः जलमंडल, जीवमंडल, थलमंडल और वायुमंडल में विभाजित किया गया है।

(a)     जलमंडल के अंदर सारे तालाब, झील, नदिया, सागर, और महासागर आते है। जलमंडल का 71% भाग समुंन्द्री जल (H2O) के रुप और शेष भाग नदियां, झरना, पोखरा, झील, तलाब आदि के रुप में विराजमान है। हम सभी जानते है कि जल के एक अणु में 66 % हरि-हाइड्रोजन विराजमान रहते है। इस प्रकार पृथ्वी के अधिकांश भाग की रचना, हरि-हाइड्रोजन  और शेष उनकी माया आक्सीजन के द्वारा हुई है। हिमालय (बर्फ का पहाड़), बादल, वर्षा आदि सभी में भी हरि-हाइड्रोजन ही विराजमान है ।

(b)     सभी जीव के शरीर में सबसे अधिक जल ही विराजमान होता है। सभी जीवों के शरीर की सुक्ष्तम ईकाई का नाम कोशिका होता है। इस कोशिका के अंदर पाये जाने वाले प्रोटीन, कार्बोहाइड्र्ट, वसा, अम्ल और जल का अणु सूत्र की रचना भी हरि-हाइड्रोजन द्वारा ही हुई है। इस प्रकार कोशिका सहित, ऊतक, अंग, तंत्र, शरीर का निर्माण के मूलकारक हरि-हाइड्रोजन ही हैं । जीव-जंतु, पेड़-पौधा, जंगल और विश्व के लगभग 8 अरब आबादी वाले मानवों के शरीर की रचना हरि-हाइड्रोजन द्वारा ही हुई है। जीवमंडल के अंदर सारे जंगल, जीव और लगभग 8 अरब मानव आते है

(c)     पृथ्वी के बाह्यमंडल के अपार क्षेत्र की रचना भी हरि-हाइड्रोजन द्वारा हुई है। यह भाग 640 किमी0 की ऊँचाई से लेकर बहुत आगे तक होता है।  हरि-हाइड्रोजन सबसे हल्के होने के कारण वायुमंडल के सबसे अंतिम छोर पर विराजमान होते है। यह स्थान क्षोभमंडल के सम्पूर्ण आयतन से बहुत गुना अधिक है। पृथ्वी के अंदर पाये जाने वाले डीजल, किरोसिन, पेट्रोल, गैस आदि के अणुओं की रचना भी हरि-हाइड्रोजन के द्वारा ही हुई है। विश्व का सबसे बड़ा जंगल का नाम अमेजन है। इसमें पाये जाने वाले प्राणियों और पेड़ों आदि की रचना के मूलकारक भी हरि-हाइड्रोजन और उनकी माया आक्सीजन है। जल, जीव, खनिज-तेल, बर्फ, बादल, वर्षा, बाह्यमंडल आदि सभी पृथ्वी के ही भाग है। इन सभी की रचना भी हरि-हाइड्रोजन के द्वारा हुई है और शेष उनकी माया है जो इसका ज्ञान नहीं होने देती है ।

वेदों और विज्ञान में यही बताया गया है कि हरि-हाइड्रोजन और उनकी माया आक्सीजन दोनों मिलकर ही संसार की रचना करते है। सुंदरकांड में आया है कि सुनु रावन ब्रह्मांड निकाया, पाई जसु बल बिरचित माया । जल-मंडल, जीव-मंडल (जंगल/जीव), हिम के पर्वत, खनिज-तेल, बादल आदि सभी की रचना, हरि-हाइड्रोजन और उनकी माया (आक्सीजन और नाईट्रोजन और कार्बन) द्वारा हुई है।  इस प्रकार पृथ्वी (ब्रह्मांड-पिंड) की रचना भी हरि-हाइड्रोजन और उनकी माया द्वारा ही हुई है। 



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