हरि और हाइड्रोजन / Hri Aur Hydrogen

THIS IS A BOOK, WRITTEN BY S. RAMAYAN. © AUTHOR

14 नवंबर, 2024

हिंदी कविता : साधु हो जाओ सावधान ! 🙏 है यह कलयुग का ज़माना l

 🙏 मेरे द्वारा रचित काव्य 🙏 

© लेखक के आधीन

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जमाना अजब बदल गया, जमाना गजब बदल गया l 

कहीं स्वभाव बदल गया, तो कहीं सब बदल गया ll

मुताबिक पवित्र ग्रंथों के, सुप्रीम-पावर तो एक ही है l

फिर भी सबका अपना-अपना रब बदल गया ll 


टूटी झोपड़ी में रहते हैं, सत्य और इंसानियत के पूजारी,

धर्म और मजहब के ठेकेदारों का है चमकता आशियाना l 

साधु 🙏 हो जाओ सावधान ! है यह कलयुग का जमाना ll 



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दिल को बना लेते है शातिर, सिर्फ बोलता दिमाग है l

चेहरे पर हिम सी ठंडक और सीने में सुलगती आग है ll

इंसानियत भले ही बनी है, अब गीत की शीर्षक,

मगर निजस्वार्थ के ही धुन और राग है ll


गैरों से जीत जाते है हम जंग जिंदगी का जमाने में, 

यहां तो सिर्फ़ अपनो को होता है आजमाना  l

साधु 🙏 हो जाओ सावधान ! है यह कलयुग का जमाना ll 



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टाइ झूठ बोलती है न्यायलय में, 

पवित्र-ग्रंथो का किताब का साक्षी होता है l 

गमछा सच का दलील देता है मदिरालय में,

सिर्फ दो बून्द आँशु और एक घूंट शराब साक्षी होता है ll 


सत्य की जीत, अब तो पन्नो में सिमट गया,

अब तो जीत ही  होता है सत्य का पैमाना l 

साधु 🙏 हो जाओ सावधान ! है यह कलयुग का जमाना ll 



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दोषी कौन इस दुष्कर्मी आग का, जिसमें जलता समाज है l

वासना की प्रथम चिनगारी जिसने लगाई, वो तो पहनती ताज है ll 

दोषी सिर्फ अभिनेत्री ही नहीं, बल्कि पुरी फिल्मी साज-बाज है l 

जिस पर किसी को लाज है, तो किसी को उसी पर नाज है l 


शिक्षा पद्धति में लिखे गए सारे पन्ने मतलब के काम के, 

मगर सृजनलीला कामशास्त्र का ही गायब है पन्ना l

साधु 🙏 हो जाओ सावधान ! है यह कलयुग का जमाना ll 



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दीवाने अब दीवाने न रहे, दीवानी अब दीवानी न रही l 

अब तो रिश्ते टूटते हैं कई बार, वो सात जन्मों वाली कहानी न रही l 

लैला-मजनू, हीर-रांझा, रोमियो-जुलेट और सोहनी-महिवाल अब कहां ? 

दे दे प्रियतम के लिए निज की कुरबानी, ऐसी अब जिंदगानी न रही ll 


रूह से मोहब्बत रही अब कहाँ ? दुनियां तो है पैसे और जिस्म का दीवाना l 

साधु 🙏 हो जाओ सावधान ! है यह कलयुग का जमाना

 


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जिधर दम है, उधर हम है, जिसमें फायदा है, वही हो गया कायदा हैl 

भावना कम हो गईं अब तो रिश्तों में ,  व्यापार हो गया ज्यादा है ll 

बचन और कसम मूल्यहीन हुए, हर रोज टूटता किसी का वादा है l

दुनियां जाये भाड़ में, अब तो निजस्वार्थ का इरादा है ll 


हज़ारों खेल हैं दुनियां में,  फिर भी दिल से खेले जानें का बढ़ रहा है अफसाना l

साधु 🙏 हो जाओ सावधान ! है यह कलयुग का जमाना ll 


 



लेखक: 

एस. रामायण 

Mob: 6382317128

           7508702812

जीमेल: 

sramayan108@gmail.com 

hriaurhydrogen@gmail.com


© लेखक के आधीन 


नोट: इस कविता के कॉपीराइट का अधिकार लेखक के पक्ष में सुरक्षित है l


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